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01-02 June 2019 ,Ambikanagar, Malpura Tonk, Rajasthan
गुर्जर लोक संस्कृति एवं इतिहास में मेवाड़ का योगदान एक दिवसीय संगोष्ठी भीलवाड़ा




















गुर्जर लोक संस्कृति संवर्धन एवं इतिहास में मेवाड़ का योगदान विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी संपन्न,,,,
भीलवाड़ा 26 जुलाई। गुर्जर इतिहास साहित्य एवं भाषा शोध संस्थान जिला इकाई भीलवाड़ा के तत्वाधान में एक दिवसीय संगोष्ठी पालना जी श्री देवनारायण मंदिर में उप जिला प्रमुख भीलवाड़ा शंकर लाल गुर्जर की अध्यक्षता में संपन्न हुई संपन्न हुई। संगोष्ठी का उद्घाटन राजस्थान के पूर्व मंत्री कालू लाल गुर्जर द्वारा किया गया।
गुर्जर लोक संस्कृति संवर्धन एवं इतिहास में मेवाड़ के योगदान को रेखांकित करते हुए डॉक्टर अरुणा गुर्जर ने कहा भगवान श्री देवनारायण की फढ में संपूर्ण लोक संस्कृति समाहित है। फढ़ में चित्रित प्रतीकात्मक गाथा के संबंध में हमें शोध करके भगवान श्री देवनारायण के लोक कल्याणकारी संदेशों को विश्व में प्रसारित करने की आवश्यकता है।
शोध संस्थान के राष्ट्रीय महामंत्री शैतान सिंह गुर्जर ने इतिहास में जो विकृतियां जानबूझकर उत्पन्न की गई है, उनके संबंध में समाज के समक्ष तर्क और तथ्य पूर्ण इतिहास प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। शैतान सिंह गुर्जर ने बताया कि मेवाड़ के महाराणाओं के पूर्वज वल्लभी वंश के अंश रहे हैं।
बप्पा रावल द्वारा स्थापित गुहिल राज्य वंश का वल्लभी वंश से निकास रहा है। बप्पा रावल प्रतिहरों के सामंत रहे हैं। पन्नाधाय ने मेवाड़ राज्य वंश के उत्तराधिकारी उदय सिंह को बचाने के लिए अपने पुत्र का बलिदान देकर मेवाड़ राज्य वंश की रक्षा की एवं अपनी राष्ट्रभक्ति के चरित्र चरितार्थ किया। यदि उदय सिंह नहीं बचते तो महाराणा प्रताप का जन्म नहीं होता और दुनिया के इतिहास में महाराणा प्रताप हिंदू धर्म एवं संस्कृति रक्षक ऐतिहासिक पुरुष के रूप में अपनी पहचान नहीं बना पाते ।
प्रातः स्मरणीय पन्नाधाय के व्यक्तित्व और कृतित्व को आज विश्व के नारी समाज के समक्ष रखने की आवश्यकता है। संस्थान गुर्जर राज्य वंशो के इतिहास में नारी शक्ति के योगदान को रेखांकित करने के लिए उस पर शोध कार्य कर रहा है।
संगोष्ठी में इतिहासकारों एवं साहित्यकारों ने अपने उद्बोधन में देश धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए मेवाड़ के योगदान को प्रतिपादित किया।
संस्थान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोहनलाल वर्मा ने गुर्जर लोग संस्कृति में प्रचलित लोकगीत, लोक नृत्य, सामाजिक सांस्कृतिक परंपरा, सामूहिक मेलो, धार्मिक महत्व की ऐतिहासिक स्मारकों एवं घटनाओं का जिक्र करते हुए प्रतिपादित किया कि वर्तमान समय में भारतवर्ष की "वसुधैव कुटुंबकम्"अर्थात संपूर्ण विश्व एक परिवार है, भगवान श्री देवनारायण ने अपनी अवतार लीला के माध्यम से, प्रकृति संरक्षण, आयुर्वेद चिकित्सा, गोधन संवर्धन तथा मानव कल्याण के लिए सामाजिक समरसता का जो संदेश दिया उसे आज संपूर्ण विश्व तक पहुंचाने की आवश्यकता है।
इस सब को दृष्टिगत रखते हुए वर्ल्ड पार्लियामेंट कांस्टीट्यूशन के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय संस्कृति शोध आयोग के साथ सामूहिक रूप से कार्य करने के लिए संस्थान ने संरक्षक के रूप में जुड़ना स्वीकार किया है। संस्थान द्वारा गुर्जर इतिहास संस्कृति कला शोध से संबंधित एक वेबसाइट निर्मित की गई है। वेबसाइट को आज भीलवाड़ा में पूर्व मंत्री कालू लाल गुर्जर ने लांच किया।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में विश्व को मानव कल्याण के लिए एक मंच पर लाने की आवश्यकता है। इस दिशा में वर्ल्ड पार्लियामेंट कॉन्स्टिट्यूशन को बढ़ावा देने की दृष्टि से डब्ल्यू सीपीए द्वारा भारत में महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहे हैं।
इसी श्रृंखला में शोध संस्थान द्वारा भावी पीढ़ी के विद्यार्थियों के लिए गुर्जर लोक संस्कृति, कला , साहित्य भाषा एवं इतिहास की जानकारी देने हेतु शीघ्र ही सर्टिफिकेट कोर्स भी प्रारंभ किया जाना सुनिश्चित किया गया है।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोहनलाल वर्मा ने प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसमें श्री नरसिम्हा मूर्ति( बेंगलुरु), डॉ दक्षा जोशी (अहमदाबाद )तथा पूर्व मंत्री कालू लाल गुर्जर (भीलवाड़ा) को संस्थान का संरक्षक मनोनीत करने हेतु सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया।
शोथ संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष ईसम सिंह चौहान का 21 जून को महाप्रयाण होने के कारण उनके स्थान पर हरिश्चंद्र भाटी पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को संस्थान का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। संगोष्ठी के अंत में 2 मिनट का मौन रखकर दिवंगत अध्यक्ष ईसम सिंह चौहान को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। संस्थान द्वारा ईसम सिंह चौहान की व्यक्तित्व और कृतित्व पर पुस्तक प्रकाशित करने का भी निर्णय लिया गया।
राष्ट्रीय गुर्जर इतिहास,साहित्य एवं भाषा शोध संस्थान
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